गुरुवार, दिसंबर 11, 2008

शाहरुख की फिल्म में बनना है नेता!

देखिए नेता और अभिनेता में कोई फरक नहीं हुआ करता है. लेकिन जो नेता जो हैं वो आज भी नॉर्म्स को, अपनी संस्कृति को, अपनी विरासत को, राजनीति में जो गरिमा में जो हो सकता है, जो सही मामले में जो लीडरशिप का गुण होना चाहिए आज विद्यमान है.
हाँ, फिल्म जगत् में काम करनेवाले लोग भी आ रहे हैं. उनकी मजबूरी है कि उसमें नाचना, डाँस करना, कामेंट्स करना, लिपट जाना लोगों को. एक फॅमिली के साथ जैसे कोई फिल्में है अमिताभ जी हैं, उनकी बहू है, पुत्र है. फिल्म जब बनता है तो एक साथ लोग नाच गान मतलब वो लोग करते हैं. तो ठीक है उनकी अपनी सीमाएँ हैं, अपना एक ज़रिया है लोगों को अट्रॅक्ट करने का या कुछ प्राप्त करने का.
वो नेताओं में, जो सही नेता हैं में, इस तरह के चीज़ों में जाने में हिचकिचाहट है जाने में. जाने में या पार्टीसीपेट करने में. हाँ, मैंने शाहरुखजी को कहा कि अगर आप कोई फिल्म बनाते हो या फिल्म में नेताओं का जहाँ ज़रूरत पडे नेताओं को उसमें अभिनय या कोई रोल हो तो हम कर सकते हैं सही मामले में.
ताकि लोग भी समझें कि नेता सही मामले में, बनावटी नेता नहीं. फिल्मों में बनावटी नेता बना दिया. नेता टोपी वोपी लगा दिया. और नेता जी एक्ट र रहे हैं कि, लाइक के, बिल्कुल जो एन्टी पोलिटिकल एक्टिविटी जैसे वल्गर जिसको मानते हैं, जिसको लोग पसंद नहीं करते. लोग समझ जाते हैं ये बनावटी है. तो उससे लोगों का रुझान नही होता. तो मैंने कहा फिल्म में जो लव है लव स्टोरी होता है या हीरो हीरोइन एक हर फिल्म में तो हो ही जाते हैं तो हम ऐसा रोल नहीं कोई करना चाहते हैं. और मैंने देखा है कि फिल्म में जो पुराने जो कलाकार हैं जैसे हेमा मालिनी. आज भी हेमा मालिनी का जो शटेचर है वो बहुत अच्छा है.
मैंने हेमाजी को भी मैंने कहा था कि भाई अपने फिल्म जो बनती हो हमको भी रोल दो. मतलब मज़ाकिया लिहाज में हमने कहा था वो बोली कि ज़रूर हम. लेकिन ऐसा फिल्म बनाना जिसमें कि हम खप सकें. तो है बाकी और लोग ठीक हैं अपने जगह पर.
देखिए नेता और अभिनेता मे कोई फरक नही है लेकिन जो नेता जो है वो आज भी नरंस वो अपनी संस्कृति को अपनी बिरसद को राजनीति मे जो गरिमा मे जो हो सकता है जो सही मामले मे जो लीडरशिप का गुण होना चाहिए आज विद्यमान हैं हा जगत् मे काम करनेवाले लोग भी आ रहे हैं उनकी मजबूरी है की उसमे नाचना, डाँस करना, कोमेंट्स करना लिपट जाना लोगोंको जैसे कोई फिल्में है अमिताभ जी हैं, उनकी पुत्र, बहू है पुत्र है फिल्म जो बनता है तो एक साथ लोग नाच गाना मतलब वो लोग करते हैं तो ठीक है उनकी एक सीमाए है अपना एक ज़रिया हैं लोगों को अट्रॅक्ट करने का या कुछ प्राप्त करने का वो नेताओं में जो सही नेता इस तरह के चीज़ों में जाने मे हिचकिचाहट हैं जाने मे, जाने मे. या पार्टीशिपेट करने मे हा मैने शाहरुख जी को कहा की अगर आप कोई फिल्म बनाते हो या फिल्म में नेताओं का जहाँ ज़रूरत पडे नेताओं को उसमें अभिनय या कोई रोल हो तो हम कर सकते हैं सही मामले में ताकि लोग भी समजे की नेता सही मामले में बनावटी नेता ने अपने मोबाइल बनावटी नेता नेता टोपी वोपी लगा दिया अन्यथा जी जो सोहेट कर रहें हैं की लाइक की बिल्कुल जो एन्टी पुलिट कॅलेक्टिविटी जैसे भलगर जिसको मानते है जिसको लोग पसंद नहीं करते लोग समज जाते हैं ये बनावटी है तो उससे लोगों का रुज़ान नही होता तो मैने कहाँ जो लव है लव स्टोरी होता है या हीरो हीरोइन एक हर फिल्म मे तो हो ही जाते हैं तो हम ऐसा रोल नही कोई करना चाहते हैं मैने देखा है की फिल्म मे जो पुराने जो कलाकार हैं जैसे हेमा मालिनी आज भी हेमा मालिनी का जो स्टचर है वो बहुत अच्छा हैं मै हेमा जी को भी मैने कहा था की भाई अपने फिल्म जो बनती हो हमको भी रोल दो. मतलब मज़ाक की लिहाज हमने कहा था वो बोली की ज़रूर हम लेकिन ऐसा फिल्म बनाना जिसमे की हम खप सकें तो हैं बाकी और लोग ठीक हैं अपने जगह पर.