मायावती लालू प्रसाद के घर एक बकरी ले आई।
लालूप्रसाद - अरे, भैंसिया क्यों नहीं लाई हो।
मायावती - लालू जी यह भैंस नहीं बकरी है।
लालूप्रसाद - अरे हम तो बकरी से सवाल पूछ रहा हूँ, तू काहे को एड़ी ऊंचा-ऊंचा के जवाब दे रही है, बुड़बक कहीं की।
बुधवार, अक्तूबर 27, 2010
गुरुवार, सितंबर 23, 2010
! बना रहेगा जीजा साले का संबध !
लालू यादव के साले सुभाष य़ादव ने पार्टी छोड़ दी है इस मुद्दे सहित बिहार के चुनावों से जुड़े कुछ सवालों के जबाब लालू ने मीडिया से मुखातिब होते हुए दिए।
लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि कि नीतिश के राज में 32 हज़ार करोड़ की घोटाला हुआ है साथ ही बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।
* party छोड़े जाने पर पूछे गये प्रश्न के जबाब में लालू ने पत्रकारों को आड़े हाथों लिया और कहा कि आपको क्यों उनसे मोहब्बत है..सुभाष धोखेबाज नहीं...
लालू ने सुभाष यादव को शुभकामनायें देत हुए कहा कि जीजा साला का संबध बना रहेगा सुभाष जहां जायेंगे लालू के साले के रुप में उन्हें सम्मान मिलेगा। आरजेडी से टिकट चाहने वालों पर लालू अपने ही अंदाज़ में बोले। महाराज गंज के सांसद उमाशंकर सिंह की नाराज़गी पर लालू ने कहा कि प्रभुनाथ सिंह के पार्टी में शामिल होने पर उन्हें घबराने की कोई जरुरत नहीं है
शुक्रवार, अगस्त 13, 2010
! बेवकूफ आदमी 'बिहार में !
श्री लालू प्रसाद यादव जी अपने मंत्रियौ के साथ बैठ कर ईमेल चेक कर रहे थे ! आचानक श्री लालू जी का एक ईमेल देखा जिसमे संबोधित किया बिहार का सबसे बेवकूफ आदमी के लिये ये ईमेल है ! सारे मंत्रि बहुत नाराज़ हुए के किस आदमी ने हिम्मत की ऐसा ईमेल बजने का पता लगाऊ ! लालू जी बोले उदास मन से ये जरौरी नहीं के किसने ये ईमेल बेजा बात वू है की पोस्टमन ने क्यों एस मेल कू सही एड्रेस में डेलिवर क्या !
शुक्रवार, जुलाई 02, 2010
! दहेज़ के लिए प्रतारित !
अर्जुन्वा साथिया गया है. अपना बहु को दहेज़ के लिए प्रतारित करता है और कुर्सी के लिए मुसलमान का रेसेर्वेस्तिओं का बात का करता है . ऐस्सा दोगला लोग को चोव्रह पैर खड़ा करके 123 जूता मरना चहिये !
Oct 26th, 2007 at 12:02 pm @ http://www.garamchai.in/?p=21#comment-11272
Oct 26th, 2007 at 12:02 pm @ http://www.garamchai.in/?p=21#comment-11272
रविवार, जून 13, 2010
! ईमेल करने के लिए एकाउँट खोलना जरूरी है| !
फिल्म ताल के एक दृश्य में, मीता वशिष्ठ जो आलोक नाथ की बहन बनी है कहती हैं "भाई साहब, विक्की भले ही शातिर दिमाग हो पर दिल से बिल्कुल देहाती है|" दरअसल आलोक नाथ को विक्की में ईक्कसवीं सदी के शातिर भारतीय युवक के सारे लक्षण मौजूद होने के कारण उन्हें विक्की अपनी बेटी से शादी के लिए पसंद नहीं है, पर मीता वशिष्ठ के अकाट्य तर्क से वह हथियार डाल देते हैं| यही इस आलेख का सूत्रवाक्य है| हम भारतीय चाहे दिल से कितने भी आधुनिक क्यों न हों, सादगीपूर्ण व्यक्तित्व ही पसंद करते हैं| जब कस्बे और गाँवों में रहने वाला समाज अपने नेतृत्व को हाथ में सेलफोन , बगल में लैपटाप दबाये फीलगुड, पोटा ईत्यादि चीखते हुए देखता है तो उसे अपने से कटा हुआ महसूस करता है| उसकी समस्याऐं पचास साल में भी बदली नहीं है वही रोटी, वही पानी वही सड़क और वही समाज के उच्च वर्ग द्वारा शोषण| लालू प्रसाद रोटी सड़क दें या न दें, शोषण के खिलाफ मजलूमों को आवाज जरूर दे देंते हैं और यही उनकी सफलता के कारणों में एक है| सामान्य जनता का मन अभी भी अपने नेता में राजा हरीशचंद्र की छवि ढूढता है जो वेष बदल कर राज्य का पुरसाहाल लेता था|
यही ईमेज चलती है जनता के बीच!
जाहिर है एक ओर अगर रेलों में ईंटरनेट जैसी विशुद्ध अमेरिकी सुविधाऐं देने की बात करने वाले नेता हो दूसरी ओर रेलवे स्टेशन पर छापे मारने के सस्ते परंतु लोकप्रिय लालूवादी तरीके, तो भले ही दोनों जनता का धन लूटने के मामलें में एक ही थैली के चट्टे बट्टे हों, जनता जुड़ाव तो राजा हरीशचंद्र से ही करेगी बिल गेट्स से नही| चाहे लालू हों या मायावती दोनो समाज के शोषित वर्ग को समाज के उच्च वर्ग के खिलाफ खड़ा होने का हौसला देते हैं और इसीलिए उनके सर्वेसर्वा बने बैठे हैं| उदाहरण साफ है, जब मोहल्ले के पंडित और ठाकुर त्रिशूल यात्रा निकालते हैं तो कभी दलित वर्ग उनके साथ खड़ा होता है, नहीं| क्योकि उन्हे समझा दिया गया है कि रामजन्मभूमि के मलबे में कोई ऊँची जातवाला दबके नहीं मरा, वह सब तो बस नीचे खड़े नारे लगाते रहे| इसीलिए यह वर्ग महारैला में सवर्णों को लाठी चमका कर ही खुश हो लेता है, फिर चाहे पाँच साल भ्रष्टाचार में पिसता रहे| लालूश्री देहाती ही बने रहना चाहते हैं और वैसे ही दिखना चाहते हैं जैसा कि उनका वोटरवर्ग है| अगर उन्होनें हेयरस्टाईल या बोलने का लहजा बदला तो जनता कोई और लालू ढूढ लेगी| अभिजात्य वर्ग, जो राल्फ लारेन पहनना और वर्सेज लगाना सीख चुका है, अब देहाती भारतीयों को लाफिंग मैटर समझता है, इसीलिए उसे लालू भी विदूषक लगते हैं| अब जरा विषय को हल्के अँदाज की ओर मोड़ते हुए एक सच्ची परंतु मनोरंजक घटना का जिक्र करता हूँ| कुछ साल पहले जब शरद यादव केंद्रीय मंत्री थे और लालू विपक्ष में, तब लालू जी ने "यह आईटी वाईटी क्या होता है?" कह कर एक नयी बहस को जन्म दे दिया| दिल्ली के प्रगतिमैदान में आईटी मेला लगा था और एक दिन लालू अपने चेले चपाटों के साथ मेले में पहुँच गये | आयोजकों को किसी हंगामें का डर सताने लगा| पर लालू चहलकदमी करते हुए वेबदुनिया के स्टाल पहुँच गये| हिंदी में चलती वेबदुनिया की साईट से उन्हे कौतूहूल हुआ| वेबदुनिया के संचालक जोश में आकर लालू जी के प्रश्नों का उत्तर देने लगे| किसी ने उन्हे बहुभाषी ईमेल सुविधा के बारे में बताया| लालूजी को यह जानकर निराशा हुई कि भोजपुरी वेबदुनिया की सूची में शामिल नहीं थी| पर उन्होनें एक ईमेल एकाउँट खोला और देवनागरी का प्रयोग करके पटना के किसी प्रशासनिक अधिकारी को भोजपुरी में ईमेल भेज मारी| पंडाल के बाहर संवाददाताओं के सवालो की बौछार का उन्होनें अपनी चिरपरिचित शैली में जवाब दिया "देखिए, हम आईटी का इसलिए विरोध करता हूँ क्योकि ई सब कंपूटर अंग्रेजी में चलता है| इससे गरीब गुरबा का क्या भला होगा? पर ई वेबदुनिया वाले अच्छा काम किये हैं, अभी हिंदी में कंपूटर चालू हैं, वादा किये हैं कि भोजपुरी भी लायेंगे कंपूटर पर| हम इस चीज से बहुत खुश हूँ|" खैर अगले दिन लालूजी की फोटो छपी पेपरों में ईमेल करते हुए और आईटी के पुरोधाओं ने चैन की साँस ली|
कंपूटर चालू हैं
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