शुक्रवार, दिसंबर 04, 2009

! भोजपुरिया !



गयिया को चारा खिलाते रहिये !


भैसिया को चाराते रहिये !


भोजपुरिया गाना गाते रहिये !


प्रलियामेंत्वा में भासन सुनते रहिये !


रबरी जी को 1 4 3 कहत्येय रहिये !


रेलवे को पुपू बजाते रहिये!


रेलवे को आगे बदतेयेय रहिए !


बिहार में लालटेन दिखातेतेय रहिये !


सोनिया जी को थोड़ा भोजपुरी सिखाते रहिये !


जय माता जी बोलते रहिये !

गुरुवार, नवंबर 19, 2009

! जिग्सव पुज्ज्ले !

After completing a jigsaw puzzle he'd been working on for Quitesometime, Laloo proudly shows off the finished puzzle to Afriend. "It Took me only 5 months to do it," Laloo brags. "Fivemonths? That's too long." the friend exclaims. "You are a fool,"Laloo replies. "Read the box, it says "5-7 years".

शुक्रवार, अगस्त 14, 2009

! CHOLESTROL FREE !


लालू जी एन्तेर्स अ शॉप एंड शौट्स , " वेयर 'स माय फ्री गिफ्ट विथ थिस आयल ?"
शोप्कीपेर : "इसके साथ कोई गिफ्ट नहीं है , लालूजी "
लालू जी : इसपे लिखा है कोलेस्ट्रोल फ्री "

गुरुवार, जुलाई 09, 2009

! हैप्पी बिर्थ डे !


गयिया को चारा खिलाते रहिये !
भैसिया को चरते रहिये !
भोजपुरिया गाना गाते रहिये !
प्रलियामेंत्वा में भासन सुनते रहिये !
रबरी जी को कहत्येय रहिये !
रेलवे को पुपू बजाते रहिये !
रेलवे को आगे बदतेयेय रहिए !
बिहार में लालटेन दिखातेतेय रहिये !
सोनिया जी को थोड़ा भोजपुरी सिखाते रहिये !
जय माता जी बोलते रहिये !

सोमवार, जून 08, 2009

! बढ़ती महेंगाई पर लालू !


ये जो प्राइस राइज़ है, ये बिल्कुल नॅशनल ही नहीं इंटरनॅशनल क्राइसिस है. बहुत सारे देशों में अन्न नहीं मिल रहे हैं जैसे कि मैं अभी मलेशिया गया था, वहाँ कौलालंपूर मैं गया था, तो उन राष्ट्रों में, बांग्लादेश, बगल के राष्ट्र हैं, युरोपियन कौंट्रिस में भी ग्रैन को छोड़ दीजिए पर बाकि चीज़ें हैं, फ्रूट हैं, या अन्य चीज़ें हैं, या ग्रैन नहीं मिलता लोगों को. काफ़ी हार्डशिप है इन कंपॅरिज़न टू इंडिया. जो अनाज, आटा, दाल, चावल.

और हम अपने देश में जो लोग हैं भारत के नागरिक, कम से कम भोजन रोटी, मान लो कई एक आइटम नहीं मिले पर नमक रोटी का भी प्रबन्ध भी मिनिमम जो होना चाहिए वो हम लोगों ने किया है यहाँ पर. एक्सपोर्ट को रोका, बहुत सारी चीज़ों में हमने रियायतें दी, कस्टम ड्यूटी, एक्साइस ड्यूटी, को भी हमने .

और दुनिया भर में जो फुएल है, स्टील है, सिमेन्ट है, स्टील में भी कुछ राहत मिला. तो भारतीय रेल जो है, आज़ादी के 60 साल के बाद फुड ग्रेन्स को जो हमने स्टोर कर दिया,ढो करके यहाँ पर मतलब, बफर स्टेट हमने. हमको ज़रूर नहीं है अनाज और गेहु माँगने का. पहले मंगा भी लिया अब समस्या हो रही है कि इसका डिस्पोज़ल कैसे करें.

और हमने यहाँ ज़रूर जो फॉर्वर्ड मार्केट था, मुंबई से जो संचारित होता था , एसेन्षियल कमॉडिटीस के कई एक आइटम्स पर इसको हमने समझा और विरोध करके इसको वेक्केंट कराया और नतीजा है को हमरा जो ग्रैन है , राइस है, ये जो प्राइवेट प्लेयर्स थे, फॉर्वर्ड मार्केटवाले किसानों से सीधा जा के उँचा दम दे के ले लेते थे.

तो उसको समाप्त करने के बाद हमने एलान किया है कि मेरा जो भयानक योगदान मेरा हैं, शरद पवार जी के आजू बाजू में दवा कर रहे हैं. ये हमने साफ साफ कहा कि एक कड़वा , एक भी छटाक़ प्राइवेट लोगों का गेहु का हम लोडिंग नहीं करेंगे और उसको बंद करो. हमारा पहले एफ सी आई का लोडिंग होगा. और सीधे किसानो को जो समर्थन मूल्य दिया है हमने वीट का या राइस का, इसका भी हमको लाभ हुआ. तो इसका दूसरी तरफ नुकसान भी हुआ. इसको कोवोर्डैनेट करना चाहिए था, और समय लगता है इस में. आज बफर स्टेट हमारा हो गया है.

फुएल का दाम आप जानते हैं. जितना इंडिया कन्स्यूम करता है, जितना हमारे लोग उपभोग कर रहे हैं. एक एक आदमी को फॅमिली को जो होप्स हैं, उमको पाँच-पाँच गाड़ी हैं और ये ज़्यादा कन्संप्षन हमारा बड़ा है.

भारत में , हम लोगों के देश में कोयला से, लकड़ी से चूल्‍हे चलते थे. अब ये सब चीज़ें समाप्त हो के अब हर आदमी गॅस सिलंडर बात करता है.

दुनिया में हम वन थर्ड डीसल कन्स्यूम करते हैं. इंडियन रेलवे हम वन थर्ड जो टोटल आता है भारत में. तो वन थर्ड उसे करने के बाद भी हमने भाड़ा में बढ़ोतरी नहीं की. राहत दिया लोगों को इंडियन रेलवे ने भाड़ा कम करके राहत दिया लोगों को.

अभी जो फुएल का दाम बढ़ा तो दुखदायी ज़रूर हैं, रियलिटी, सबको समझना पड़ेगा सचाई को. कोई भी रहेगा तो क्या करेगा. वह हमेशा जो तेल नहीं है, हमेशा हमने देखा है युरोपियन कंट्रीज़ में भी बवाल मच रहे थे. तो उस में भी मिनिमम हम लोगों ने, ये समझते हैं की मिनिमम बढ़ाए है. ये ज़रूर है की चूल्हा जो 50 रुपया गॅस सिलंडर पर दाम बढ़ा तो.

कई राज्य सरकारों से अपील किया गया. प्रधानमंत्रीजी ने भी अपील किया इसको आप लोग भी कन्स्यूमर्स को जो वॅट लगता है, उन चीज़ों पर, सेल्स टॅक्स हम बढ़ते हैं आप आमदनी करते हो, कम करो. एवेरिब्डी हैज टू रियलाइज अंड शेअर दी बर्डेन. ये हर कि ज़िम्मेवारी है.

तो ये स्थिति है और मैं समझता हूँ कि स्थाई नहीं रहेगा और निकट भविष्य में इस पर काबू पाया जाएगा.

और फिर बिचौलिए हैं, बिचौलिए हैं जो पे कमीशन का जो तंखा जो बढ़ोतरी हुई तो इसका भी उसी दिन से लोगों ने कि चलो-चलो अपने भी महेंगा करो. तो किसान को न मिलकर के बीच के जो लोग हैं , आढत में रहनेवाले, फिर रिटेलर्स तक में ये लोग इसका नाजायज़ फ़ायदा उठते.

और ये हर राज्य सरकार का ड्यूटी हुआ करता है. ईच एंड एवेरी कलेक्टर आफ दी कॅनस्र्न्ड डिस्ट्रिक्ट इज रिस्पोंसिबिल. माने की उनकी ड्यूटी है, कंट्रोल करना अपने नागरिकों को, सामानो को , एसेन्षियल कमॉडिटीस एक्ट इंपोज़ करके करना.

चिंताजंक है. ठीक है भारत डेवेलपिंग-डेवेलप्ड कंट्री है, ग़रीबी भी ज़्यादा है. तो आम आदमी उसको सफ़र तो ज़रूर करता है, पर आम आदमी के लिए हम फुड ग्रैन का फ्री इंतज़ाम भी हमारा है. 35 kg उनको जो ग़रीब लो हैं, अंतिम आदमी उनको हम फ्री रॅशन देते हैं. उस रॅशन का डिस्ट्रिब्यूशन पीपल को होना चाहिए.

और फिर जॉब भी चाहिए तो हम रोज़गार ग्रांट स्कीम जो हमारा चलता है देश भर में कि छ्ह दिन का काम लोगों को मिले ताकि नमक-रोटी का प्रबन्ध हो. इनको भी इंपलिमेंट करना चाहिए राज्य सरकार को. ट्रूली ब्यूरोकरेसी को. ये नहीं हो पाता तो आमदनी नहीं रहेगी तो सफर करते. जिनकी जो आमदनी है, हैरर्की है, सिटिज़न का जो हैरर्की है तो उस हैरर्की में जो ग़रीब आदमी है , मेनू है जो भोजन का जो टीवी पर दिखाया जाता है तो पीपल, पहले भी कहाँ पीपल को मिलता है. फ्रूट चाहिए, तो दूध चाहिए, तो ये चाहिए, तो नास्टा चाहिए, तो एग चाहिए, अंडा चाहिए - ये शर्तन कुछ ही लोग हैं जो उपभोग करते हैं बाकी तो भात दल मिला तो नहीं मिला तो आलू का तरकारी रसदार बनाया खा लिया, नमक रोटी खा लिया.

तो ग़रीब आदमी तौर तरीका मालूम है झेलने का, बिचारों की मजबूरी हैं. फाइ र्भी उनकी हार्डशिप को कम करना है तो उसके सेवरल स्कीम्स हमारे यहाँ है. पी. डी .एस रॅशन, या अन्य चीज़ें हैं. वह प्रवाइड करते है तो, एनसोर करना चाहिए उनको.

शुक्रवार, जून 05, 2009

लालू और सीसा


लालू गए येकशोपकीपेर के पास और पुचा ए भइया
ए बंदरवा का फोटू कितने का हे रे ?
शॉप कीपर : साहब वू फुटवा नहीं है साहब वो तू सीसा है !

रविवार, मार्च 29, 2009

! यू र था बेस्ट !

! थॅंक्स फॉर दी कोमेंटेटर्स !

मेरे ब्लॉग पर, मेरे इंटरव्यू पर, मेरे राय पर, जो देश प्रदेश से जो भी कमेंट्स आए हैं उसमें से बहुत सारे कमेंट रेलवे से संबंधित हैं. वो सरहाणीय हैं.
कुछ लोगों ने भ्रांति कुछ पॉलीटीशन और बहुत लोग भ्रांति पाल लेते हैं, ये सिनेमा में कोई मैं डॅन्स करने जा रहा हूँ, कोई रोल करने जा रहा हूँ. ऐसी बात नहीं है. मैने कहा की राजनीति, पोलिटिशन को डिसक्रेडिटेड किया जा रहा है, डिसरेस्पेक्ट हॉ रहा है फ्रॉम दी एवेरी कॉर्नर ऑफ दी सोसाइटी. और जो नेताओं के प्रति, जो पोलिटिशन है डेमॉक्रेसी में, वो हाई स्ट्रेचर है उँचा स्थान है.
तो बहुत सारे लोग जो रोल कही नेता का जो बनावटी करके दिखाया जाता है फिल्म में कोई बनता है तो उसमें बिल्कुल अजीब वो, हास्यास्पद बात रहती है. इसलिए हम जब पाचवी पास वाला जो था स्टार टी वी पे मैं गया था तो शाहरुख ख़ान को मैने कहा था की देखो पोलिटिशन्स का राजनीति को भ्रष्ट करना, संस्था को यह लोग जो करते हैं, तो अगर आप कोई फिल्म बनाते होगे और नेताओं को भी आप लोगो ने बना के रोल दिया होगा नेता सो कॉल्ड जो बनता है बनावटी, तो ऐसे समी में जहाँ रोल नेता का होगा कोई बात का, तो हमको बुलाना.
फिर भी जो मिस किए हुए लोग उनके लिए मैं बताउँगा की भारतीय रेलवे कल का घाटे का सौदा था एन दी ए सरकार का. बत्तर हालत था. और एक लाख़ करोड़ सर्प्लस मनी हम जेनरेट करके हम मंत्रालय को जब पाँच साल होगा तब छोड़ेंगे, तब बताएँगे लोगों को. उसका ग़ूढ भी मैं लोगों को बताउँगा. थॅंक्स फॉर दी कोमेंटेटर्स , वह जिन लोगों ने कमेंट्स दिया हैं. अंड आय इन्वाइट देम टू कंटिन्यू युवर कॉमेंट्स, गिव मी सो तट आई कॅन टेक बेनेफिट ऑफ इट. आई आम नाट सो, आई विल नाट बेड. आई फील हॅपी. तो जिन्होने लालू यादव को नहीं देखा है, कान से सुना है तो उनके मन में भ्रांतियाँ रहती होंगी.
जिन्होने ताजमहल को देखा नही कान से सुना तो ग़लत परिभाषित करते होंगे. जिन्होने ताजमहल को देखा उनके ज्ञान का, दिमाग़ का कुंडली खुल जाता है और ढंग से विश्लेषण करेंगे . हियर से और हमारे इमेज को जो टार्नीश करने का हमारे जो पोलिटिकल ओपोनेंट्स खास करके इन लोगों ने हमारे इमेज को टार्नीश करने का लगातार देश और प्रदेश में अनर्गल बातें मेरे ज़बान में मोहिमो में, प्रिंट मीडीया के बहुत सारे लोगों ने उस को प्रचारित किया है.
इमेज को टार्निश किया है.कोई चीज़ नज़दीक से देखोगे और जो मेकप करके जो आर्टिस्ट जाते हैं सो वो अलग रूप नज़र आएगा. अब बिना मेकप का देखोगे तो भारी अंतर नज़र आएगा.

मंगलवार, फ़रवरी 17, 2009

! इंटरव्यू !


इन्तेर्विएवेर : लालूजी आपने अपने बेटी की शादी के लिए ज़बरदस्ती गाड़ी ले ली कार शोरूम से । इस के बारे में आपको क्या केहना क्या है ?
लालू : अरे हम थोडी ज़बरदस्ती करना चाहते थे । हम प्रेम से पूछे रहे तो ऊ बोले नही दे सकते । अब और कौनो चारा ही नही था का कारेन

शनिवार, जनवरी 24, 2009

! लालू ने कहा !

अगर बॉम्बे मुंबई बन सकता है तो पटना का नाम लालुस्तान या राबरी नगर क्यों नही हो सकता है ?